5 Simple Techniques For shiv chalisa lyrics aarti
5 Simple Techniques For shiv chalisa lyrics aarti
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पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
लाय सजीवन लखन जियाये। श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।
जो यह पाठ करे मन लाई । ता पार होत है शम्भु सहाई ॥
श्रीरामचरितमानस धर्म संग्रह धर्म-संसार एकादशी
शिव आरती
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
अर्थ- हे प्रभू आपके समान दानी और कोई नहीं है, सेवक आपकी सदा से प्रार्थना करते आए हैं। हे प्रभु आपका भेद सिर्फ आप ही जानते हैं, क्योंकि आप अनादि काल से विद्यमान हैं, आपके बारे में Shiv Chalisa वर्णन नहीं किया जा सकता है, आप अकथ हैं। आपकी महिमा का गान करने में तो वेद भी समर्थ नहीं हैं।
कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुण्डल कुँचित केसा।।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी । करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।